पचास ऋतु चक्रों को समर्पित
जीवन के संग-सफर में
आज हर एक मोड़ पर
मुझे तुम्हारी सबसे ज्यादा
जरुरत है।
लेकिन मैं यह भी जानता हूँ
कि तुम अब इस जीवन में
मुझे कभी नहीं मिलोगी।
मैं चाह कर भी
तुम्हारी कोई झलक
तुम्हारी कोई आवाज
तुम्हारी कोई खबर
नहीं ले पाऊंगा।
फिर भी मैं तुम्हें
हर मौसम
हर महीने
हर सप्ताह
हर दिन
हर घड़ी
हर पल
हर क्षण
अपने जीवन सफर में जीवूंगा।
जीवन के संग-सफर में
आज हर एक मोड़ पर
मुझे तुम्हारी सबसे ज्यादा
जरुरत है।
लेकिन मैं यह भी जानता हूँ
कि तुम अब इस जीवन में
मुझे कभी नहीं मिलोगी।
मैं चाह कर भी
तुम्हारी कोई झलक
तुम्हारी कोई आवाज
तुम्हारी कोई खबर
नहीं ले पाऊंगा।
फिर भी मैं तुम्हें
हर मौसम
हर महीने
हर सप्ताह
हर दिन
हर घड़ी
हर पल
हर क्षण
अपने जीवन सफर में जीवूंगा।
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