देश के महानगरों में
रह कर भी मुझे
अपने गाँव की
याद आती है।
आलीशान मकान में
रह कर भी मुझे
गाँव वाले घर की
याद आती है।
हवाई जहाजों में
सफर करके भी मुझे
गांव वाली बैलगाड़ी की
याद आती है।
पाँच सितारा होटलों में
ठहर कर भी मुझे
खेत वाले झोंपड़े की
याद आती है।
स्वादिष्ट खाना
खाकर भी मुझे
माँ के हाथ की रोटी की
याद आती है।
गाँव के जीवन की
याद आती है।
( यह कविता "स्मृति मेघ" में प्रकाशित हो गई है। )
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