मेरे जीवन में कोई उल्लास नहीं रहा
मेरे जीवन में कोई मधुमास नहीं रहा
मेरे जीवन का स्वर्णिम सूरज डूब गया
मेरी आँखों में सावन-भादो उतर गया।
मेरे जीवन में खुशियां की सौगात नहीं रही
मेरे जीवन में पायल की झनकार नहीं रही
मेरे जीवन का मंगल गान बिसर गया
मेरी आँखों में सावन-भादो उतर गया।
मेरी पलकों में सुनहरा स्वपन नहीं रहा
मेरे होठों पर प्यार भरा गीत नहीं रहा
मेरा हमसफर जीवन राह में बिछुड़ गया
मेरी आँखों में सावन-भादो उतर गया।
मेरे जीवन में अधरों का हास नहीं रहा
मेरे जीवन में गीतों का सार नहीं रहा
मेरे जीवन से सुख का कारवाँ गुजर गया
मेरी आँखों में सावन-भादो उतर गया।
[ यह कविता 'कुछ अनकही ***"में प्रकाशित हो गई है ]
मेरे जीवन में कोई मधुमास नहीं रहा
मेरे जीवन का स्वर्णिम सूरज डूब गया
मेरी आँखों में सावन-भादो उतर गया।
मेरे जीवन में खुशियां की सौगात नहीं रही
मेरे जीवन में पायल की झनकार नहीं रही
मेरे जीवन का मंगल गान बिसर गया
मेरी आँखों में सावन-भादो उतर गया।
मेरी पलकों में सुनहरा स्वपन नहीं रहा
मेरे होठों पर प्यार भरा गीत नहीं रहा
मेरा हमसफर जीवन राह में बिछुड़ गया
मेरी आँखों में सावन-भादो उतर गया।
मेरे जीवन में अधरों का हास नहीं रहा
मेरे जीवन में गीतों का सार नहीं रहा
मेरे जीवन से सुख का कारवाँ गुजर गया
मेरी आँखों में सावन-भादो उतर गया।
[ यह कविता 'कुछ अनकही ***"में प्रकाशित हो गई है ]
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