पपैया मत ना बोल नीम री डाल रै
म्हारी तो मृगानैणी बसै अमरापुर रै।
कोई सामण आवै सावण रै
झूला झूलती देतो हिलौर रै
पपैया मत ना बोल नीम री डाल रै
म्हारी तो मृगानैणी बसै अमरापुर रै।
कोई सामण आवै तीज रै
मेंहदी मांड दिखाती हाथ रै
पपैया मत ना बोल नीम री डाल रै
म्हारी तो मृगानैणी बसै अमरापुर रै।
कोई सामण आवै होली रो त्योंहार रै
रंग तो लगातो करतो रमझोळ रै
पपैया मत ना बोल नीम री डाल रै
म्हारी तो मृगानैणी बसै अमरापुर रै।
कोई सामण आवै गणगौर रै
कर सोलह सिणगार पुजती गौर रै
म्हारी तो मृगानैणी बसै अमरापुर रै।
कोई सामण आवै सावण रै
झूला झूलती देतो हिलौर रै
पपैया मत ना बोल नीम री डाल रै
म्हारी तो मृगानैणी बसै अमरापुर रै।
कोई सामण आवै तीज रै
मेंहदी मांड दिखाती हाथ रै
पपैया मत ना बोल नीम री डाल रै
म्हारी तो मृगानैणी बसै अमरापुर रै।
कोई सामण आवै होली रो त्योंहार रै
रंग तो लगातो करतो रमझोळ रै
पपैया मत ना बोल नीम री डाल रै
म्हारी तो मृगानैणी बसै अमरापुर रै।
कोई सामण आवै गणगौर रै
कर सोलह सिणगार पुजती गौर रै
पपैया मत ना बोल नीम री डाल रै
म्हारी तो मृगानैणी बसै अमरापुर रै।
[ यह कविता "कुछ अनकही ***" पुस्तक में प्रकाशित हो गई है ]
म्हारी तो मृगानैणी बसै अमरापुर रै।
[ यह कविता "कुछ अनकही ***" पुस्तक में प्रकाशित हो गई है ]