कल तक
पहाड़ों पर दमकती बर्फ
चिनार पर चमकती शबनम
खेतों में महकती केशर
धरती का जन्नत था कश्मीर।
डलझील में तैरते शिकारे
वादियों में महकते गुलाब
फिजाओं में घुलती मुहब्बत
धरती का जन्नत था कश्मीर।
शिकारों में घूमते शैलानी
घाटी में फूलते ट्यूलिप
झीलों पर तैरते बाज़ार
धरती का जन्नत था कश्मीर।
और आज
माँ ओ की ओढ़नी छिन गई
बेटियों की अस्मिता लूट गई
मांगो का सिंदूर उजड़ गया
जन्नत नरक में बदल गया।
केसर क्यारी कुम्लाह गई
हिमगिरि में आग लग गई
जिहाद में युवा बहक गया
जन्नत नरक में बदल गया।
सभी आकांक्षायें कुचल गई
होठों की हंसी दुबक गई
घाटी में आतंक फ़ैल गया
जन्नत नरक में बदल गया।
पहाड़ों पर दमकती बर्फ
चिनार पर चमकती शबनम
खेतों में महकती केशर
धरती का जन्नत था कश्मीर।
डलझील में तैरते शिकारे
वादियों में महकते गुलाब
फिजाओं में घुलती मुहब्बत
धरती का जन्नत था कश्मीर।
शिकारों में घूमते शैलानी
घाटी में फूलते ट्यूलिप
झीलों पर तैरते बाज़ार
धरती का जन्नत था कश्मीर।
और आज
माँ ओ की ओढ़नी छिन गई
बेटियों की अस्मिता लूट गई
मांगो का सिंदूर उजड़ गया
जन्नत नरक में बदल गया।
केसर क्यारी कुम्लाह गई
हिमगिरि में आग लग गई
जिहाद में युवा बहक गया
जन्नत नरक में बदल गया।
सभी आकांक्षायें कुचल गई
होठों की हंसी दुबक गई
घाटी में आतंक फ़ैल गया
जन्नत नरक में बदल गया।
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