मेरा जीवन साथी बिछुड़ गया
मेरा प्यार का पंछी उड़ गया
मैं जीवन राह में भटक गया
मैं आज अकेला रह गया।
मेरे प्यार का झरना सुख गया
मेरा सावन पतझड़ बन गया
मैं मरुभूमि सा सुख गया
मेरा सावन पतझड़ बन गया
मैं मरुभूमि सा सुख गया
मैं आज अकेला रह गया।
मेरा प्यार का मंदिर ढह गया
मेरा गीत अधूरा रह गया
मेरा गीत अधूरा रह गया
मैं राह सफर में छूट गया
मैं आज अकेला रह गया।
मेरा स्वपन सलोना टूट गया
मेरा जीवन नीरस बन गया
मेरा जीवन नीरस बन गया
मैं अब जीवन से हार गया
मैं आज अकेला रह गया।
[ यह कविता "कुछ अनकही ***" पुस्तक में प्रकाशित हो गई है ]
मैं आज अकेला रह गया।
[ यह कविता "कुछ अनकही ***" पुस्तक में प्रकाशित हो गई है ]
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