सावन आयो बदरा बरसे
प्रिया मिलन को जियरा तरसे।
उमड़-घुमड़ कर बदरा छाए
मन में प्रिय की याद सताए
पुरवा बह के अगन लगाए
नेह - निमंत्रण याद दिलाए
सावन आयो बदरा बरसे
प्रिया मिलन को जियरा तरसे।
मयूरा नाचै सौर मचाए
पिऊ की बोली प्यार जगाए
मल्हा मेघ मल्हार सुनाए
घूँघट पट की याद दिलाए
सावन आयो बदरा बरसे
प्रिया मिलन को जियरा तरसे।
प्रिया प्रिया पपिहारी गाए
मृग-नयनी की याद सताए
मधुर कंठ से कोयल गाए
विरह-वेदना मन तड़फाए
सावन आयो बदरा बरसे
प्रिया मिलन को जियरा तरसे।
उमड़-घुमड़ कर बदरा छाए
मन में प्रिय की याद सताए
पुरवा बह के अगन लगाए
नेह - निमंत्रण याद दिलाए
सावन आयो बदरा बरसे
प्रिया मिलन को जियरा तरसे।
मयूरा नाचै सौर मचाए
पिऊ की बोली प्यार जगाए
मल्हा मेघ मल्हार सुनाए
घूँघट पट की याद दिलाए
सावन आयो बदरा बरसे
प्रिया मिलन को जियरा तरसे।
प्रिया प्रिया पपिहारी गाए
मृग-नयनी की याद सताए
मधुर कंठ से कोयल गाए
विरह-वेदना मन तड़फाए
प्रिया मिलन को जियरा तरसे।
[ यह कविता "कुछ अनकही ***" पुस्तक में प्रकाशित हो गई है ]
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