मोटी माला गले पहन कर
चन्दन तिलक लगाओ,
एक चदरिया कंधे रख करपाखंडी बाबा बन जाओ।
लम्बी-चौड़ी दाढ़ी रख कर
उसमें इत्र लगाओ,
अपने को भगवान् बता कर
नित पूजा करवाओ।
हाथ फेर कर रोग भगाओ
जम कर माल उड़ाओ,
अंधभक्तों को मूर्ख बना कर
स्वर्ग के ख्वाब दिखाओ।
बालाओं को संग में रख कर
अपनी हवस मिटाओ
राजनिती में पहुँच बना कर
चेला-चेली मुंडो जम कर
नित आश्रम खुलवाओ,
सत्संगों में भीड़ जुटा कर
मोटी रकम कमाओ।
अपनी धौंस जमाओ।
चेला-चेली मुंडो जम कर
नित आश्रम खुलवाओ,
सत्संगों में भीड़ जुटा कर
मोटी रकम कमाओ।
( यह कविता "स्मृति मेघ" में प्रकाशित हो गई है। )
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