शादी में
अग्नि के सात फेरों ने
हम दोनों की दूरियाँ
सदा-सदा के लिए
मिटा दी
चिता की
अग्नि के तीन फेरों ने
हम दोनों की दूरियाँ
सदा-सदा के लिए
बढ़ा दी
दोनों जगह
अग्नि में घी डाला गया
फूल सजाये गए
रिश्तेदार भी आये
केवल जगह बदल गई
एक शादी का मंडप था
दूसरा शमशान का घाट था
एक में डोली सजी
दूसरे में अर्थी सजी।
( यह कविता "स्मृति मेघ" में प्रकाशित हो गई है। )
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