तब
घर जाते ही माँ कहती
खाना खा लो
अब
घर में कहना पड़ता है
खाना दे दो
तब
पंगत में बैठ कर
मनुहार से खाना खाते
अब
हाथ में प्लेट ले कर
रोटी दो,रोटी दो चिल्लाते
तब
अधिकार से कहते
कल मैंने चाय पिलाई
आज तुम पिलाओ
अब
होटलों में झगड़ते
पैसे मैं दूंगा, पैसे मैं दूंगा
तब
और अब में
कितना कुछ
बदल गया
अब
रिश्तों को जीना
रिश्तों को निभाने में
बदल गया।
घर जाते ही माँ कहती
खाना खा लो
अब
घर में कहना पड़ता है
खाना दे दो
तब
पंगत में बैठ कर
मनुहार से खाना खाते
अब
हाथ में प्लेट ले कर
रोटी दो,रोटी दो चिल्लाते
तब
अधिकार से कहते
कल मैंने चाय पिलाई
आज तुम पिलाओ
अब
होटलों में झगड़ते
पैसे मैं दूंगा, पैसे मैं दूंगा
तब
और अब में
कितना कुछ
बदल गया
अब
रिश्तों को जीना
रिश्तों को निभाने में
बदल गया।
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