Tuesday, May 14, 2019

तब और अब

तब
घर जाते ही माँ कहती
खाना खा लो

अब
घर में कहना पड़ता है
खाना दे दो

तब
पंगत में बैठ कर
मनुहार से खाना खाते

अब
हाथ में प्लेट ले कर
रोटी दो,रोटी दो चिल्लाते

तब
अधिकार से कहते
कल मैंने चाय पिलाई
आज तुम पिलाओ

अब
होटलों में झगड़ते
पैसे मैं दूंगा, पैसे मैं दूंगा

तब
और अब में
कितना कुछ
बदल गया

अब
रिश्तों को जीना
रिश्तों को निभाने में
बदल गया।

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