जीवन की तमाम
चिंताओं से मुक्त हो कर
जीवन संगीनी के संग बैठ
चाय की चुस्कियों के बीच
बीते पलों को फिर से जीना
पुरानी यादों को फिर से बाँटना
मेरे जीवन का अब सपना बन गया।
जीवन संगिनी की अब केवल
यादें ही बची है मेरे पास
बदल गया है अब
मेरी जिन्दगी का अर्थ
अब अकेले बैठ कर चाय पीने से
मन में नहीं घुलती कोई मिठास
चाय अब केवल एक
जरुरत भर रह गई है।
चिंताओं से मुक्त हो कर
जीवन संगीनी के संग बैठ
चाय की चुस्कियों के बीच
बीते पलों को फिर से जीना
पुरानी यादों को फिर से बाँटना
मेरे जीवन का अब सपना बन गया।
जीवन संगिनी की अब केवल
यादें ही बची है मेरे पास
बदल गया है अब
मेरी जिन्दगी का अर्थ
अब अकेले बैठ कर चाय पीने से
मन में नहीं घुलती कोई मिठास
चाय अब केवल एक
जरुरत भर रह गई है।
( यह कविता "स्मृति मेघ" में प्रकाशित हो गई है। )
धन्यवाद
ReplyDeleteहृदय स्पर्शी रचना।
ReplyDeleteधन्यवाद ।
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