Friday, January 31, 2020

इस धरती की रक्षा करना है

हवा -पानी जहरीला हो रहा 
भूगर्भ खजाना खली हो रहा 
धरती का तापमान बढ़ रहा  
विशाल ग्लेशियर पिघल रहा। 

समुद्र धरती को निगल रहा 
मौसम का चक्र बिगड़ रहा 
बाढ़-सूखा चीत्कार कर रहा  
ओजोन कवच अब टूट रहा। 

प्रदूषण दुनियां में फ़ैल रहा 
परमाणु का खतरा बढ़ रहा 
भूकम्प, सुनामी कम्पा रहा 
अकाल मृत्यु दस्तक दे रहा। 

यह महा-प्रलय की आहट है 
सम्पूर्ण जैविकता खतरे में है 
हमें  मिल कर इसे बचाना है 
इस धरती की रक्षा करना है। 


( यह कविता "स्मृति मेघ" में प्रकाशित हो गई है। )


1 comment:

  1. इस के लिए हमने एक छोटी सी पहल की है
    बर्थडे पर गिफ़्ट लेना और देना दोनों ही रूप में गिफ्ट में एक वृक्ष/पौधा ही होगा।
    प्रदूषण के खतरों को भांप कर उसके लिए ठोस कदम भी उठाना अपना काम है।
    आप भी पेड़ लगाएं और पर्यावरण को सुरक्षित बनाएं।

    नई पोस्ट पर आपका स्वागत है- लोकतंत्र 

    ReplyDelete