एक बार मैं
साले की शादी में
सीकर बारात में गया।
शहर से पत्नी के लिए
कुछ लेकर जाऊं
मन में आया।
घर में किसी को
पता नहीं लगे
इसलिए छुपा कर भी
ले जाना था।
छोटी आइटम हो
और पॉकेट में आ जाय
यह भी ध्यान रखना था।
मैं दुकानदार से
जाकर बोला
भैया एक चोली देना।
दूकानदार बोला
साईज़ बताइये और
किस कलर की देना।
मेरे बगल में ही
दो लड़कियाँ खड़ी थी
मैंने इशारे से कहा
इनकी साईज़ दे देना।
लड़कियाँ मेरी तरफ
देख कर बोली
बड़ा बेशर्म है।
मेरी समझ में
कुछ नहीं आया
मैं चोली लेकर
गांव चला आया।
बहुत वर्षों बाद
एक दिन मैंने
इस बात को अपनी
पत्नी को बताया।
वो मेरी नादानी पर
हँस कर बोली
और इस रहस्य को
समझाया।
तब मेरी समझ में आया
कि उन लड़कियों ने मुझे
बेशर्म क्यों बताया। #
# सत्तरह वर्ष की उम्र में ही शादी हो गई थी। पत्नी की उम्र साढ़े तरह वर्ष की थी। गांवों में रहते थे। शादी का क्या अर्थ होता है, वो भी नहीं समझते थे। एक लड़की साथ खेलने घर में आएगी, वो साथ में पढ़ेगी, बस यही शादी का अर्थ था। आज जब भी यह घटना याद आती है, मैं अपने पर हँसने लगता हूँ।
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