सूरज तो आज भी निकला है
फूल आज भी खिलें हैं
हवा आज भी चली है
मगर आज तुम नहीं हो
यह सूरज की लालिमा
यह फूलों का खिलाना
यह हवा का चलना
मेरे लिए आज एक
नया अर्थ लेकर आया है
फूल आज भी खिलें हैं
हवा आज भी चली है
मगर आज तुम नहीं हो
यह सूरज की लालिमा
यह फूलों का खिलाना
यह हवा का चलना
मेरे लिए आज एक
नया अर्थ लेकर आया है
कल की सुबह
और आज की सुबह में
कितना अंतर है
यह मेरा मन समझता है।
( यह कविता "स्मृति मेघ" में प्रकाशित हो गई है। )
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