देखते ही देखते
कितना कुछ बदल गया
कितना कुछ बदल गया
एक छोटी सी गुड्डिया
जो सदा हमारे साथ खेलती थी
आज सात समुद्र पार चली गई।
उसके बचपन की ढेरों सौगातें
आज सात समुद्र पार चली गई।
उसके बचपन की ढेरों सौगातें
बसी है हमारे दिलों में
आँगन में पैंजन की रुनझुन
तोतले बोलो की मीठी सरगम
किलकारियों से घर का गूंजना
खिलखिला कर हँसना
अँगुली पकड़ कर चलना
लगता है जैसे कल की बातें हैं।
सत्तरह वर्ष की उम्र में
चली गई अमेरिका पढाई करने
आज कर रही है वहाँ जॉब
कुछ वर्षों में हो जाएगी शादी
चली जाएगी अपने ससुराल
एक नया संसार बसाने
रह जाएगी सदा- सदा के लिए
हमारे संग उसकी कुछ यादें
और कुछ अहसास।
( यह कविता स्मृति मेघ में प्रकाशित हो गई है। )
सुन्दर
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