Sunday, October 11, 2020

श्रद्धा ही श्राद्ध है

मैंने श्राद्ध पक्ष में 
जिन कौओं को खीर खिलाई 
वो ब्राह्मण थे या नहीं,मुझे नहीं पता 

मैंने श्राद्ध पक्ष में 
जिन्ह गायों को हलवा-पूड़ी खिलाई 
वो ब्राह्मण थी या नहीं, मुझे नहीं पता 

मैंने श्राद्ध पक्ष में 
जिस भूखे को भोजन कराया 
वो ब्राह्मण था या नहीं, मुझे नहीं पता 

लेकिन मैंने  
जो कुछ भी किया 
श्रद्धा और निष्ठा से किया 

और पितरों के प्रति 
श्रद्धा और निष्ठा से किया 
हर कार्य श्राद्ध होता है। 



 ( यह कविता स्मृति मेघ में प्रकाशित हो गई है। )



















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