चन्दा मामा आओ ना
साथ मुझे ले जाओ ना
बादल के घोड़े बिठा कर
बादल के घोड़े बिठा कर
मुझे घुमा कर लाओ ना
तारों के संग आँख मिचोली
मै खेल कर आऊँगा
आसमान में ऊपर जाकर
सारे जग को देखूंगा
रात चाँदनी में नाचूँगा
गीत ख़ुशी के गाऊँगा
वापिस आते एक दुल्हनिया
परी देश से लाऊँगा।
सुजानगढ़
१७ जून,२०१०
(यह कविता "कुमकुम के छींटे" नामक पुस्तक में प्रकाशित है )
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