हुरियारों की आई टोली
बजा चंग सब गाये होली
भर जाये खुशियों से झौली आओ मिल कर खेलें होली
भर पिचकारी रंग डालते
एक दूजे पर हमजोली
घुटे भाँग और पिए ठण्डाई
आओ मिल कर खेलें होली
देवर- भाभी, जीजा-साली
आपस में सब करे ठिठोली
बजे चूड़ियाँ, फिसले साड़ी
आओ मिल कर खेलें होली
हर आँगन पायल झनके
हर चोखट चन्दन रोली
तन में मस्ती, मन में मस्ती
आओ मिल कर खेलें होली
हर भोलो कान्हो लागे
हर गोपिन राधा गौरी
रंग तरंग की बौछारों में
आओ मिल कर खेलें होली।
(यह कविता "कुमकुम के छींटे" नामक पुस्तक में प्रकाशित है )
No comments:
Post a Comment