मैं ऑफिस से
घर आ कर बैठा ही था
कि किसी ने आकर
अपनी नरम-नरम हथेलियों से
मेरी दोनों आँखे बंद करदी।
बताइये मै कौन हूँ ?
उसने मुझे से पूछा-
मैंने अपने हाथों से
उन हाथों का स्पर्श
करते हुए कहा -पुजा
ऊँ हूँ - उत्तर आया
मैंने कहा राधिका
वो भी नहीं
और झट से मेरी आँखे खोल
सामने आकर बोला-
मैं गौरव हूँ दादा जी
मैं मुस्करा उठा।
उसने मुझे
हाथ में लिए एलबम को
दिखाते हुए पूछा-
दादा जी यह आप और
दादीजी के बचपन का फोटो है ना ?
मैंने कहा- हाँ
आप कितने हैण्डसम लग रहे हैं
और दादीजी भी कितनी क्यूट लग रही है।
(राजस्थान के गाँवों में पहले शादियाँ बहुत छोटी उम्र में कर दिया करते थे। मेरी शादी के समय उम्र मात्र सत्तरह साल की थी और सुशीला की साढ़े तेरह साल। गौरव मेरी शादी का एलबम देख रहा था। )
घर आ कर बैठा ही था
कि किसी ने आकर
अपनी नरम-नरम हथेलियों से
मेरी दोनों आँखे बंद करदी।
बताइये मै कौन हूँ ?
उसने मुझे से पूछा-
मैंने अपने हाथों से
उन हाथों का स्पर्श
करते हुए कहा -पुजा
ऊँ हूँ - उत्तर आया
मैंने कहा राधिका
वो भी नहीं
और झट से मेरी आँखे खोल
सामने आकर बोला-
मैं गौरव हूँ दादा जी
मैं मुस्करा उठा।
उसने मुझे
हाथ में लिए एलबम को
दिखाते हुए पूछा-
दादा जी यह आप और
दादीजी के बचपन का फोटो है ना ?
मैंने कहा- हाँ
आप कितने हैण्डसम लग रहे हैं
और दादीजी भी कितनी क्यूट लग रही है।
(राजस्थान के गाँवों में पहले शादियाँ बहुत छोटी उम्र में कर दिया करते थे। मेरी शादी के समय उम्र मात्र सत्तरह साल की थी और सुशीला की साढ़े तेरह साल। गौरव मेरी शादी का एलबम देख रहा था। )