दादी जांणती
टुंणो करणो
गांव में आँधी आंवती
जणा रोक देवंती आंधी ने
कर देती टुंणो
टाबरिया धूळरा बतूळा
देखता र भागता
दादी कनै अर केंवता
दादी आँधी आवै है
बेगो करो टुंणो
दादी ल्याती बुवारी
अर ऊपर मैळती भाटो
राळती बाजरी का आखा
सींच देती कळस्या स्यूं पाणी
कर देती टुंणो
टाबरियां रो
बिसवास हो दादी
अर दादी रो बीसवास हो
आपरो टुंणो
जे कदास
आँधी आ ज्याती तो
दादी केती बाळणजोगी पेळी
बड़गी कांकड़ में,नहीं जण"स
कर देतो जापतो म्हारो टुंणो।
[यह कविता "एक नया सफर" नामक पुस्तक में प्रकाशित हो गई है। ]
टुंणो करणो
गांव में आँधी आंवती
जणा रोक देवंती आंधी ने
कर देती टुंणो
टाबरिया धूळरा बतूळा
देखता र भागता
दादी कनै अर केंवता
दादी आँधी आवै है
बेगो करो टुंणो
दादी ल्याती बुवारी
अर ऊपर मैळती भाटो
राळती बाजरी का आखा
सींच देती कळस्या स्यूं पाणी
कर देती टुंणो
टाबरियां रो
बिसवास हो दादी
अर दादी रो बीसवास हो
आपरो टुंणो
जे कदास
आँधी आ ज्याती तो
दादी केती बाळणजोगी पेळी
बड़गी कांकड़ में,नहीं जण"स
कर देतो जापतो म्हारो टुंणो।
[यह कविता "एक नया सफर" नामक पुस्तक में प्रकाशित हो गई है। ]
No comments:
Post a Comment