हर बच्चे को शिक्षा मिले,
हर रोगी को दवा मिले,
देश से महँगाई मिटे,
चहु और खुशहाली हो,
ऐसा मेरा देश हो।
हर भूखे को भोजन मिले,
हर हाथ को काम मिले,
ऊँच-नीच का भेद मिटे,
भ्रष्टाचार का अन्त हो,
ऐसा मेरा देश हो।
हर नारी को सम्मान मिले,
हर परिवार को घर मिले,
बेटी-बेटे का भेद मिटे,
दुनिया में सम्मान हो,
ऐसा मेरा देश हो।
सब को सच्चा न्याय मिले,
सब को सुनहरा कल मिले,
नफ़रत की दीवार मिटे,
राजधर्म का पालन हो,
ऐसा मेरा देश हो।
वृद्धजनों को आदर मिले,
सब धर्मों को मान मिले,
घृणा-द्वेष का भाव मिटे,
छुआछूत का अन्त हो,
ऐसा मेरा देश हो।
( यह कविता "स्मृति मेघ" में प्रकाशित हो गई है। )
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