मैं तुम्हें जितना ज्यादा
याद करता हूँ
मेरा दुःख उतना ही
बढ़ता जा रहा है
मैं चाहता हूँ
तुम्हें याद करना छोड़ दूँ
जिससे मेरा दुःख
कम हो जाए
लेकिन जितना कम
याद करता हूँ
उतनी ही ज्यादा
याद आने लगती है
समझ नहीं आ रहा
कि मैं क्या करूँ
कैसे विछोह के दर्द और
जख्मों से मुक्ति पाऊँ
जिंदगी में हर किसी ने
याद करना सिखाया
कैसे भूलना है
यह किसी ने नहीं सिखाया
दिल भी बड़ा नादान है
याद करता हूँ
मेरा दुःख उतना ही
बढ़ता जा रहा है
मैं चाहता हूँ
तुम्हें याद करना छोड़ दूँ
जिससे मेरा दुःख
कम हो जाए
लेकिन जितना कम
याद करता हूँ
उतनी ही ज्यादा
याद आने लगती है
समझ नहीं आ रहा
कि मैं क्या करूँ
कैसे विछोह के दर्द और
जख्मों से मुक्ति पाऊँ
जिंदगी में हर किसी ने
याद करना सिखाया
कैसे भूलना है
यह किसी ने नहीं सिखाया
दिल भी बड़ा नादान है
जीवन के सफर में केवल
यादों के वृन्दावन में ही
रहना चाहता है।
( यह कविता "स्मृति मेघ" में प्रकाशित हो गई है। )
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