Saturday, May 30, 2015

देखो कैसा भूकम्प आ गया

भू-गर्भ में चट्टाने खिसक गई
धरती ऊपर तक थरथरा गई
हजारों जिंदगी को लील गया 
देखो कैसा भूकम्प आ गया।

ऐतिहासिक धरोहरें ढह गई
धड़कनें सभी की थम गई 
घरों को मिट्टी में मिला गया 
देखो कैसा भूकम्प आ गया।

विनाश का चक्र घूम गया
विश्व आपदा से दहल गया 
लाखों को कंगाल बना गया
देखो कैसा भूकम्प आ गया।

प्रकृति का गुस्सा बोल गया 
तबाही की ईबारत लिख गया 
पर्यावरण बचाओ बता गया
देखो कैसा भूकम्प आ गया।


( यह कविता स्मृति मेघ में प्रकाशित हो गई है। )

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