कहाँ से सीखी इतनी बातें
कहाँ से लाई इतनी सौगातें
करती बातें चटपट-चटपट
दौड़ी आती झटपट-झटपट
करे शरारत आँखें मटकाती
सबको तिरछी नजर दिखाती
पापा के कंधे चढ़ जाती
माँ के आँचल में छुप जाती
दादा आए सबको कहती
दौड़ के गोदी में चढ़ जाती
लगे भूख तब रोने लगती
लौरी सुन कर सोने लगती
खुशियों से घर को महकाया
बचपन सबका लौट के आया।
कहाँ से लाई इतनी सौगातें
करती बातें चटपट-चटपट
दौड़ी आती झटपट-झटपट
करे शरारत आँखें मटकाती
सबको तिरछी नजर दिखाती
पापा के कंधे चढ़ जाती
माँ के आँचल में छुप जाती
दौड़ के गोदी में चढ़ जाती
लगे भूख तब रोने लगती
लौरी सुन कर सोने लगती
खुशियों से घर को महकाया
बचपन सबका लौट के आया।
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