लोग कहते हैं
सुबह का सपना
सच होता है
आज मैंने तुम्हें
सुबह के सपने में
देखा
एक संदली सुगंध
फ़ैल गई थी चहुँ
ओर
मेरे दिल का चमन
खिल उठा था
तुम्हें देख
एक अजीब सा
सुकून था
तुम्हारे चहरे पर
सदा की भांति
चमक रही थी
तुम्हारी आँखें
हँसते - हँसते तुम
कर रही थी
मुझसे बातें
अचानक चार बजे
घड़ी का अलार्म
बज उठा
आँखें खुल गई
नींद उचट गई
सपना टूट गया
काश ! लोगो का कहना
सच हो जाए
आज मेरा भी
सुबह का सपना
सच हो जाए।
[ यह कविता "कुछ अनकही ***" में प्रकाशित हो गई है। ]
सुबह का सपना
सच होता है
आज मैंने तुम्हें
सुबह के सपने में
देखा
एक संदली सुगंध
फ़ैल गई थी चहुँ
ओर
मेरे दिल का चमन
खिल उठा था
तुम्हें देख
एक अजीब सा
सुकून था
तुम्हारे चहरे पर
सदा की भांति
चमक रही थी
तुम्हारी आँखें
हँसते - हँसते तुम
कर रही थी
मुझसे बातें
अचानक चार बजे
घड़ी का अलार्म
बज उठा
आँखें खुल गई
नींद उचट गई
सपना टूट गया
काश ! लोगो का कहना
सच हो जाए
आज मेरा भी
सुबह का सपना
सच हो जाए।
[ यह कविता "कुछ अनकही ***" में प्रकाशित हो गई है। ]
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