Thursday, April 14, 2016

बेदर्द जिंदगी

मेरे पास अब केवल तुम्हारी यादें बची हैं
अब मैं यादों के सहारे ही जिए जा रहा हूँ।

मेरी जान तो तुम्हारे संग  ही  निकल गई
अब तो बस जिंदगी को घसीटे जा रहा हूँ।

शोक सागर पर खड़ा कर दिया तुमने मुझे
अब तो मन में कसक लिए जिए जा रहा हूँ।

 तुम्हारे बिना विरान हो गई मेरी जिंदगी
   अब तो हर सांस में दर्द जिए जा रहा हूँ।

जीवन तो वही था जो तुम्हारे संग जीया
अब तो रातें तारे गिन-गिन काट रहा हूँ।

मैं भूल गया प्यार भरे गीतों को लिखना     


 अब तो दर्द भरे गीत ही लिखे जा रहा हूँ।      
                                        

   [ यह कविता "कुछ अनकहीं " में छप गई है।]


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