आज से ठीक चार महीने पहले
घर में खुशियों का माहौल था
किसी का भी पाँव जमीं पर
नहीं टिक रहा था।
मम्मी-पापा की शादी की
गोल्डन जुबली मनाई थी
सबने साथ मिल कर
ढेरों खुशियाँ बाँटी थी।
लेकिन आज लगता है जैसे
जीवन में सब कुछ थम गया है
जीवन की राह में एक
पूर्ण विराम लग गया है।
अचानक मम्मी हम सब को
अकेले छोड़ कर चली गई
घर में खुशियों का माहौल था
किसी का भी पाँव जमीं पर
नहीं टिक रहा था।
मम्मी-पापा की शादी की
गोल्डन जुबली मनाई थी
सबने साथ मिल कर
ढेरों खुशियाँ बाँटी थी।
लेकिन आज लगता है जैसे
जीवन में सब कुछ थम गया है
जीवन की राह में एक
पूर्ण विराम लग गया है।
अचानक मम्मी हम सब को
अपनी ईह लीला समाप्त कर
ईश्वर में विलीन हो गई।
अब तो लगता है बिना मम्मी
के घर जैसे वीरान हो गया है
खुशियों से भरे जीवन में
वृजपात हो गया है।
किससे जाकर कहूँ कि मम्मी
तुम्हारी बहुत याद आती है
हर पल तुम्हारी यादें
आँखों से अश्रु बहाती है।
लेकिन हमें पूर्ण विश्वास है
मम्मी आज भी हमारे साथ है
वो हमारे जीवन का
पथ-प्रदर्शन कर रही है।
जब तक मम्मी का
आशीर्वाद हमारे साथ है
जीवन खुशियों से भरा रहेगा
ऐसा हम सब का विश्वाश है।
फरीदाबाद
२० सितम्बर,२०१४
लेखक - मनीष कांकाणी
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