हे धरती !
तुम मुझे दो गज जमीं दो
कि मैं एक छोटा सा
घर बना सकूँ
हे आकाश !
तुम मुझे छोटी सी बदली दो
कि मैं सिर छुपाने एक
छत डाल सकूँ
हे पवन !
तुम मुझे थोड़ी शुद्ध हवा दो
कि मैं अपनी सांसों को
सुकून दे सकूँ
हे नदी !
तुम मुझे थोड़ा निर्मल जल दो
कि मैं स्वस्थ और निरोग
जीवन जी सकूँ
हे इंद्रधनुष !
तुम मुझे थोड़े रंग दो
कि मैं अपने जीवन में
खुशियों के रंग भर सकूँ
हे प्रकृति माँ !
मैं तुम्हें वचन देता हूँ कि
मैं तुम्हें वचन देता हूँ कि
मैं तुम्हारी रक्षा करूँगा
जिससे मैं सुकून भरा
जीवन जी सकूँ।
जीवन जी सकूँ।
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