हम दुनियाँ में आतंक फैला देंगे,
हम दुनियाँ में कोहराम मचा देंगे,
बस अल्लाह की मेहरबानी हो जाएँ,हमें तो बस जन्नत में
बहत्तर हूरें मिल जाएँ।
हम दुनियाँ में अत्याचार बढ़ा देंगे,
हम दुनियाँ में हाहाकार मचा देंगे,
बस अल्लाह की रहनुमाई हो जाएँ,
हमें तो बस जन्नत में
बहत्तर हूरें मिल जाएँ।
हम मासूमों का कत्ले-आम कर देंगे,
बस अल्लाह की इनायत हो जाएँ,
हमें तो बस जन्नत में
बहत्तर हूरें मिल जाएँ।
हम दुनियाँ में कहर बरपा देंगे,
हम दुनियाँ से अमन मिटा देंगे,
बस अल्लाह की रहमत हो जाएँ,हमें तो बस जन्नत में
बहत्तर हूरें मिल जाएँ।
( यह कविता "स्मृति मेघ" में प्रकाशित हो गई है। )
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