कहीं पर बड़े - बड़े भंडारे हो रहे हैं
कँही पर बच्चे भूखे सो रहे हैं
कोई फाईव स्टार में पार्टी दे रहा है
कोई कचरे के ढेर को बिन रहा है
जीवन फिर भी चलता है
किसी का घर रोशनी से जगमगा रहा है
किसी का घर आग से जल रहा है
किसी के यहाँ गीत गाये जा रहे है
किसी के यहाँ शोक मनाया जा रहा है
जीवन फिर भी चलता है
कोई हवाई जहाज में सफ़र कर रहा है
कोई नंगे पांवों चला जा रहा है
कोई वातानुकूल कमरे में सो रहा है
कोई फुटपाथ पर रात बिता रहा है
जीवन फिर भी चलता है
जीवन फिर भी चलता है
कहीं विजयश्री का जस्न हो रहा है
कहीं हार का विशलेषण हो रहा है
कही बर्लिन को एक किया जा रहा है
कही बर्लिन को एक किया जा रहा है
कहीं कोसोवो को अलग किया जा रहां है
जीवन फिर भी चलता है
अगर जीवन का आनंद लेना है
तो हमें हँसते हुए ही जीना है
हँसी से मुँह नहीं मोड़ना है
खुशियाँ से नाता नहीं तोडना है
जीवन तो फिर भी चलता है।
[ यह कविता "कुछ अनकही***" में प्रकाशित हो गई है। ]
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