मुझको बिना बताये वो, लम्बे सफर में चली गई
पता नहीं कब मिलेगी, अनंत सफर जाने वाली।
ज्योत्सना सी स्निग्ध सुन्दर, तारिका थी गगन की
तोड़ गई वो वादा अपना, प्रेम-गीत गाने वाली।
प्रीति की अनुभूति थी वो, रूप की साकार छवि
बीच राह में छोड़ गई, सातों कसमें खाने वाली।
कोयल जैसी वाणी थी, फूलों जैसी नाजुक थी
जीवन मेरा सूना कर के, चली गई जाने वाली।
मेरे दिल पर छोड़ गई, प्यार भरी यादें अपनी
कैसे भूलू मैं उसको, मीठे बोल बोलने वाली।
पता नहीं कब मिलेगी, अनंत सफर जाने वाली।
ज्योत्सना सी स्निग्ध सुन्दर, तारिका थी गगन की
तोड़ गई वो वादा अपना, प्रेम-गीत गाने वाली।
प्रीति की अनुभूति थी वो, रूप की साकार छवि
बीच राह में छोड़ गई, सातों कसमें खाने वाली।
कोयल जैसी वाणी थी, फूलों जैसी नाजुक थी
जीवन मेरा सूना कर के, चली गई जाने वाली।
मेरे दिल पर छोड़ गई, प्यार भरी यादें अपनी
कैसे भूलू मैं उसको, मीठे बोल बोलने वाली।
No comments:
Post a Comment