Monday, February 11, 2019

संयमित जीवन

१६ फरवरी, २०२१ 
मैं चौहत्तर वर्ष का हो गया 
मैं अभी स्वस्थ और निरोग हूँ। 

सुबह नियमित एक घंटा
घूमने जाता हूँ
आसन और प्राणायाम भी
नित्य करता हूँ। 

सुबह नास्ते में 
तीन-चार फल लेता हूँ
दोपहर के खाने में 
दो चपाती, दो सब्जी
एक कटोरी दही लेता हूँ। 

शाम को आधा घंटा 
घूम कर आता हूँ 
खाने में उबली हुई  
सब्जी लेता हूँ  
रात में खजूर के साथ
शहद और च्यवनप्राश लेता हूँ।

सुबह साढ़े चार बजे उठना 
रात में दस बजे सोना
मेरी दिनचर्या का भाग है। 

मैं शतायु होना नहीं चाहता 
मागर स्वस्थ और निरोग 
रह कर जीना चाहता हूँ।  


( यह कविता स्मृति मेघ में प्रकाशित हो गई है। )









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