Wednesday, July 15, 2020

मेरा मन आज उदास हो गया

मेरा मन आज उदास हो गया
बैठे-बैठे तुम्हारे ख्यालों में खो गया।
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तुम्हारी बदरी सी जुल्फें
तुम्हारा हँसता हुवा चेहरा
तुम्हारे आँचल का मुझे छूना, याद आ गया
मेरा मन तुम्हारी चुहलबाजी की
यादों में खो गया
मेरा मन आज उदास हो गया।
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मेरा रूठना और तुम्हारा
कनखियों से देख कर हँसना
तुम्हारा अंतर का भोलापन, मुझे याद आ गया
मेरा मन तुम्हारी आँखों के सहज
सलोनापन में खो गया
मेरा मन आज उदास हो गया।
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तुम्हारे संग हँसी के कहकहे लगाना
थक कर तुम्हारी बाँहों को थामना
तुम्हारा बारिश में भीगना, मुझे याद आ गया
मेरा मन तुम्हारे मृदु हाथों के स्पर्श की
सुखद अनुभूति में खो गया
मेरा मन आज उदास हो गया।
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गांव के घर में टिचकारी से बुलाना
इशारों में ही सब कुछ समझाना
तुम्हारे मुखड़े का लंबा घूंघट, मुझे याद आ गया
मेरा मन तुम्हारे नर्म अहसासों की
सिहरन में खो गया
मेरा मन आज उदास हो गया।
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मेरा मन आज उदास हो गया
बैठे-बैठे तुम्हारे ख्यालों में खो गया।



( यह कविता "स्मृति मेघ" में प्रकाशित हो गई है। )




4 comments:

  1. आपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" शुक्रवार 17 जुलाई 2020 को साझा की गयी है......... पाँच लिंकों का आनन्द पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!

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  2. बहुत सुंदर एहसास।

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  3. आप सभी महानुभावों का ह्रदय से आभार।

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