तुम अपने बेटे-बेटियों को
क्यों भेज देते हो अमेरिका
क्या वहाँ सोने की खान है
जो तुम्हारे देश में नहीं है ?
लाड-प्यार से पाले अपने
जिगर के टुकड़े को भेज देते हो
सात समुद्र पार
पता नहीं फिर वो वहाँ से
कब लौट कर आएगा ?
क्यों भेज देते हो अमेरिका
क्या वहाँ सोने की खान है
जो तुम्हारे देश में नहीं है ?
लाड-प्यार से पाले अपने
जिगर के टुकड़े को भेज देते हो
सात समुद्र पार
पता नहीं फिर वो वहाँ से
कब लौट कर आएगा ?
क्यों भेज देते हो इतनी दूर
कि सिसकियाँ भी सुनाई नहीं पड़ें
डबडबाई आँखें भी नहीं देख सको
खो जायेंगे वहाँ
डालर की चकाचौंध में
बसा लेंगे अपना घर किसी
अमेरिकन या चाइनीज के संग
तुम बुढ़ापे में, देखते ही रहोगे
उनके लौट आने की राह
मत दिखाओ उन्हें ज्यादा सब्जबाग
जुड़े रहने दो देश की धरती से
ताकि उन्मुक्त होकर जी सके अपना जीवन
बन सके बुढ़ापे में तुम्हारा सहारा।
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