Wednesday, July 14, 2021

प्रजातंत्र और नेताजी

नेताजी बड़े सरल-सजन लगते हैं, गिरगिट की तरह रंग बदलते हैं। 
देश आज इन्हीं से चलता है, विकास दौड़े नहीं यही ध्यान रखते हैं। 

नेताजी सोच-समझ योजना बनाते, देश भलाई का ध्यान रखते हैं। 
देश का भला हो या नहीं हो, अपना भला सात पीढ़ी तक करते हैं। 

राजनीति करना धंधा बन गया, अब ईमानदार लोग नहीं करते हैं। 
जो करते हैं वो भी एक करोड़ खर्च करके,एक सौ करोड़ बनाते हैं। 

पुलिस, सरकारी कर्मचारी नेताओं की,  वसूली का काम करते हैं 
किसके यहाँ से कितना वसूलना, यह सब नेताजी बताया करते हैं। 

रैलियों के लिए भीड़ जुटाने का काम, आज कल ठेकेदार करते हैं 
किस को कितनी भीड़ चाहिए, उसका इंतजाम मिनटों में करते हैं।

देखो प्रजातंत्र का देश में कैसा हाल है, मार के आगे सब बेहाल है। 
विपक्ष में नारे लगाने वाले भी, लौट कर जीत के खेमे में आ जाते हैं।*

* बंगाल के चुनाव में अभी यही हुवा है।  


6 comments:

  1. राजनीति एक धंधा बन गया है।
    दलबदलू को क्या आईना दिखाया है आपने।
    तंज व सचाई बयां करती रचना।

    पधारें- पौधे लगायें धरा बचाएं

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    1. हौंसला अफजाई के लिए धन्यवाद आपका।

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  2. आपकी इस प्रस्तुति का लिंक 15-07-2021को चर्चा – 4,126 में दिया गया है।
    आपकी उपस्थिति मंच की शोभा बढ़ाएगी।
    धन्यवाद सहित
    दिलबागसिंह विर्क

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    1. मेरी रचना को मान देने के लिए सहृदय धन्यवाद।

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  3. क्या ख़ूब कहा।
    सादर

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  4. धन्यवाद अनीता जी।

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