उसकी शरारतें याद कर, रात भर जागता रहा।
उसकी हँसी ओ दिल्लगी से, मन बहलाता रहा।।
मैं तो अब लम्बी जिंदगी नहीं, मौत मांग रहा।
मौत के बाद, उसके दीदार की हसरत मांग रहा।
मैं उससे लड़ता रहा, लड़के हारता भी रहा।
मगर हार करके भी, उसी से फिर लड़ता रहा।।
आँखें बंद किये मैं रात भर, ख्वाब देखता रहा।
ख़्वाब में मिलने आएगी, यही आश लगाए रहा।।
मुड़ मुड़ जो देखती थी, उसका संग नहीं रहा।
मैं भी उसे भूलते-भुलाते, वक्त को काटते रहा।।
दिल में यादें संजोए, आँखों में पानी भरता रहा।
न मंजिल न हमसफ़र, फिर भी मैं चलता रहा।।
( यह कविता "स्मृति मेघ" में प्रकाशित हो गई है। )
आपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" रविवार 11 जुलाई 2021 को साझा की गयी है.............. पाँच लिंकों का आनन्द पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
ReplyDeleteधन्यवाद आपका।
ReplyDeleteवाह!सुंदर सृजन ।
ReplyDeleteधन्यवाद शुभा जी आपका।
Deleteबहुत सुंदर रचना
ReplyDeleteआपका आभार अनुराधा जी।
Deleteबेहतरीन ग़ज़ल
ReplyDeleteस्वागत संगीता जी आपका।
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