Thursday, July 29, 2021

स्नेहिल आँचल को नमन

जीवन के मझधार समय 
आया एक तूफ़ान प्रबल, 
जीवन साथी बिछुड़ गया 
टूट गया जीवन सम्बल। 

पतझड़ आया जीवन में 
मधुमासी सपने रंग धुले, 
रूठ  गई  चाँदनी  रातें 
तम सधन के पंख खुले। 

विरह वेदना मन में छाई 
अश्क झरे फिरआँखों से 
जीवन सपने चूर हो गए 
उसके एक चले जाने से। 

भारी मन की गीली आँखें 
मन में है अनजानी तपन,
उपकारों की याद शेष है 
स्नेहिल आँचल को नमन। 
 

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