जीवन के मझधार समय
आया एक तूफ़ान प्रबल,
जीवन साथी बिछुड़ गया
टूट गया जीवन सम्बल।
पतझड़ आया जीवन में
मधुमासी सपने रंग धुले,
रूठ गई चाँदनी रातें
तम सधन के पंख खुले।
विरह वेदना मन में छाई
अश्क झरे फिरआँखों से
जीवन सपने चूर हो गए
उसके एक चले जाने से।
भारी मन की गीली आँखें
मन में है अनजानी तपन,
उपकारों की याद शेष है
स्नेहिल आँचल को नमन।
वाह
ReplyDeleteस्वागत।
ReplyDeleteसच में हृदय झुक कर कर रहा है नमन ।
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