Tuesday, December 24, 2019

मणिकर्णिका घाट

मेरे जीवन के नक़्शे से
ताजमहल निकल गया
ताजमहल ही क्यों
अजंता और ऐलौरा
भी तो कट गया
बचा है केवल
पवित्र गंगा किनारे
मणिकर्णिका घाट
जिसमें एक का तर्पण
हो चुका है
और एक का होना बाकी है।  

Monday, December 23, 2019

सबका प्यारा है खरगोश

सफ़ेद रंग और आँखें लाल
प्यारा लगता है खरगोश,
लम्बे-लम्बे कान है इसके
उछल-कूद करता खरगोश।

नरम-नरम और गुदगुदा
बच्चों का प्यारा खरगोश,
अपनी प्यारी पूंछ उठा कर
पल में छुप जाता खरगोश।

झाड़ियों में लुकता-छिपता
हरी दुब खाता खरगोश,
रेशम जैसे बाल है इसके
सबका प्यारा है खरगोश।


Wednesday, December 11, 2019

चाय जरुरत भर

जीवन की तमाम
चिंताओं से मुक्त हो कर
जीवन संगीनी के संग बैठ 
चाय की चुस्कियों के बीच
बीते पलों को फिर से जीना
पुरानी यादों को फिर से बाँटना
मेरे जीवन का अब सपना बन गया। 

जीवन संगिनी की अब केवल 
यादें ही बची है मेरे पास 
बदल गया है अब
मेरी जिन्दगी का अर्थ
अब अकेले बैठ कर चाय पीने से 
मन में नहीं घुलती कोई मिठास
चाय अब केवल एक
जरुरत भर रह गई है



  ( यह कविता "स्मृति मेघ" में प्रकाशित हो गई है। )





Monday, December 2, 2019

एक पेड़ का ढहना

कल एक पेड़ ढह गया 
नए ज़माने की हवा 
उसे रास नहीं आई

बूढ़े पेड़ को तो 
एक न एक दिन 
ढहना ही था 
 
मगर खेद यह है 
कि पेड़ की छाँव तले 
पली नयी पौध 
नए ज़माने की हवा पाकर  
ज्यादा ही इठलाने 
खिलखिलाने और 
झूमने लग गई 

तूफ़ान झेलना पड़ा 
अकेले खड़े पेड़ को 
बूढ़े कन्धे नहीं सह सके 
हवा के थपेड़ों को 

रात के अँधेरे में 
पेड़ ने किया था चीत्कार 
नहीं सूना किसी ने 

सुबह देखा 
पेड़ धराशाही हो चुका था
बीच राह अपनी यात्रा को 
विराम दे चुका था।


( भावभीनी  श्रद्धांजलि मेरे सहपाठी कमल तोषनीवाल को, जिसने असमय ही मौत को गले लगा लिया।  )


( यह कविता "स्मृति मेघ" में प्रकाशित हो गई है। )





Saturday, November 23, 2019

विस्थापित होते हिन्दी शब्द

नमस्कार'अब 'हैलो' हुआ 
'बधाई' 'कांग्रेट्स' हो गया, 
'सुप्रभात का 'गुड मॉर्निंग' 
जन्मदिन 'बर्थडे' हो गया।  

गुलाबी रंग 'पिंक' हुआ
नीला 'ब्लू' हो गया,  
सेंव को 'एप्पल' कहते
आम 'मेंगों' हो गया।

परेशान करना 'टेंशन' हुआ  
भोजन 'डिनर' हो गया, 
दोस्त को अब 'फ्रैंड्' कहते 
प्रेमी 'बॉयफ़्रेंड' हो गया।  

दिल टूटना 'ब्रेकअप' हुआ
क्षमा का 'सॉरी' हो गया,
शादी को 'मैरिज' कहते
प्यार का 'लव' हो गया। 


Friday, November 22, 2019

गरीबी को मिटाया जाय


 झारखण्ड के                                                            
आदिवासी इलाके में
भूख से परिवार की मौत। 

बिहार में 
कड़ाके की ठण्ड से 
सात लोगों की मौत। 

चिकित्सा के
अभाव में नवजात की
असामयिक मौत। 

समाचार पत्र में
इन खबरों का शीर्षक
सही नहीं लिखा गया था। 

परिवार की
मौत भूख से नहीं
गरीबी से हुई थी। 

उनके पास 
अनाज खरीदने के लिए
पैसे नहीं थे। 

सात लोगों 
की मौत ठण्ड से नहीं
गरीबी से हुई थी। 

उनके पास 
कपड़े खरीदने के लिए
पैसे नहीं थे। 

नवजात की मौत
बीमारी से नहीं
गरीबी से हुई थी। 

उनके पास 
दवा खरीदने के लिए
पैसे नहीं थे। 

यदि हम चाहते हैं कि
इस तरह की घटनाएं
 नहीं घटे तो हमें 
 गरीबी को मिटाना होगा। 

रुपये किलो
चावल बांटने या
मुफ्त में साइकिल
देने से काम नहीं चलेगा। 

हर हाथ को
काम देना होगा
देश में काम करने का
वातावरण बनाना होगा। 

घर बैठे पैसे दे कर
मुफ्त में अनाज बांट कर
वोट बैंक तो बनाया जा सकता है
मगर गरीबी नहीं मिटाई जा सकती। 

अकर्मण्य बनाने से अच्छा है
उन्हें कर्म करने के लिए
प्रेरित किया जाय
हाथों को काम देकर
गरीबी को मिटाया जाय। 


( यह कविता "स्मृति मेघ" में प्रकाशित हो गई है। ) 


Tuesday, November 12, 2019

प्रमाण - पत्र का होना

तुम भारत के नागरिक हो
क्या इसका तुम्हारे पास
कोई प्रमाण-पत्र है ?

यदि तुम्हारे पास
तुम्हारा फोटो लगा
प्रमाण-पत्र है तभी तुम
भारत के नागरिक हो
अन्यथा तुम हो कर भी नहीं हो।

तुम्हें अपने आप को
प्रमाणित करना होगा,
अन्यथा तुम्हें आतंकवादी,
नक्शलवादी, बांग्लादेशी, रोहिंग्या
कुछ भी करार दिया जा सकता है।

तुम्हारे ऊपर मुकदमा
चलाया जा सकता है,
तुम्हें जेल में डाला जा सकता है
तुम्हें डिपोर्ट किया जा सकता है।

यह प्रमाण - पत्र तुम
जाति-कार्ड, राशन कार्ड,
वोटर कार्ड,आधारकार्ड,
पैनकार्ड आदि किसी भी रूप में
दिखा कर तुम अपने आप को
प्रमाणित कर सकते हो।

तुम्हारे होने का मतलब है
तुम्हारा प्रमाण-पत्र का होना।