Saturday, November 23, 2019

विस्थापित होते हिन्दी शब्द

नमस्कार'अब 'हैलो' हुआ 
'बधाई' 'कांग्रेट्स' हो गया, 
'सुप्रभात का 'गुड मॉर्निंग' 
जन्मदिन 'बर्थडे' हो गया।  

गुलाबी रंग 'पिंक' हुआ
नीला 'ब्लू' हो गया,  
सेंव को 'एप्पल' कहते
आम 'मेंगों' हो गया।

परेशान करना 'टेंशन' हुआ  
भोजन 'डिनर' हो गया, 
दोस्त को अब 'फ्रैंड्' कहते 
प्रेमी 'बॉयफ़्रेंड' हो गया।  

दिल टूटना 'ब्रेकअप' हुआ
क्षमा का 'सॉरी' हो गया,
शादी को 'मैरिज' कहते
प्यार का 'लव' हो गया। 


Friday, November 22, 2019

गरीबी को मिटाया जाय


 झारखण्ड के                                                            
आदिवासी इलाके में
भूख से परिवार की मौत। 

बिहार में 
कड़ाके की ठण्ड से 
सात लोगों की मौत। 

चिकित्सा के
अभाव में नवजात की
असामयिक मौत। 

समाचार पत्र में
इन खबरों का शीर्षक
सही नहीं लिखा गया था। 

परिवार की
मौत भूख से नहीं
गरीबी से हुई थी। 

उनके पास 
अनाज खरीदने के लिए
पैसे नहीं थे। 

सात लोगों 
की मौत ठण्ड से नहीं
गरीबी से हुई थी। 

उनके पास 
कपड़े खरीदने के लिए
पैसे नहीं थे। 

नवजात की मौत
बीमारी से नहीं
गरीबी से हुई थी। 

उनके पास 
दवा खरीदने के लिए
पैसे नहीं थे। 

यदि हम चाहते हैं कि
इस तरह की घटनाएं
 नहीं घटे तो हमें 
 गरीबी को मिटाना होगा। 

रुपये किलो
चावल बांटने या
मुफ्त में साइकिल
देने से काम नहीं चलेगा। 

हर हाथ को
काम देना होगा
देश में काम करने का
वातावरण बनाना होगा। 

घर बैठे पैसे दे कर
मुफ्त में अनाज बांट कर
वोट बैंक तो बनाया जा सकता है
मगर गरीबी नहीं मिटाई जा सकती। 

अकर्मण्य बनाने से अच्छा है
उन्हें कर्म करने के लिए
प्रेरित किया जाय
हाथों को काम देकर
गरीबी को मिटाया जाय। 


( यह कविता "स्मृति मेघ" में प्रकाशित हो गई है। ) 


Tuesday, November 12, 2019

प्रमाण - पत्र का होना

तुम भारत के नागरिक हो
क्या इसका तुम्हारे पास
कोई प्रमाण-पत्र है ?

यदि तुम्हारे पास
तुम्हारा फोटो लगा
प्रमाण-पत्र है तभी तुम
भारत के नागरिक हो
अन्यथा तुम हो कर भी नहीं हो।

तुम्हें अपने आप को
प्रमाणित करना होगा,
अन्यथा तुम्हें आतंकवादी,
नक्शलवादी, बांग्लादेशी, रोहिंग्या
कुछ भी करार दिया जा सकता है।

तुम्हारे ऊपर मुकदमा
चलाया जा सकता है,
तुम्हें जेल में डाला जा सकता है
तुम्हें डिपोर्ट किया जा सकता है।

यह प्रमाण - पत्र तुम
जाति-कार्ड, राशन कार्ड,
वोटर कार्ड,आधारकार्ड,
पैनकार्ड आदि किसी भी रूप में
दिखा कर तुम अपने आप को
प्रमाणित कर सकते हो।

तुम्हारे होने का मतलब है
तुम्हारा प्रमाण-पत्र का होना।










Wednesday, October 16, 2019

प्रभु ! रास रचाने आ जाओ

काली घटा छाई हो
बादल गरज रहे हो
बरखा बरस रही हो
प्रभु ! गोवर्धन उठाने आ जाओ।

चांदनी रात हो
जमुना का घाट हो
किनारे कदम का पेड़ हो
प्रभ! चीर चुराने आ जाओ।

मंजिल दूर हो
पांव थक कर चूर हो
किसी का साथ न हो
प्रभु! बंशी बजाते आ जाओ।

आँखों में नींद हो
ख्वाबों में आप हो
मटकी भरा माखन हो
प्रभु! माखन खाने आ जाओ।

मौसमें बहार हो
कोयल कूक रही हो
मौर नाच रहे हो
प्रभु! रास रचाने आ जाओ।



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Thursday, July 25, 2019

मैं कैसे सो जाऊं

कभी भी चली आती है, उसकी यादें
वापिस जाती नहीं, मैं कैसे सो जाऊं।

सितारे रात भर जगते, मेरा साथ देने
वो जागते रहते हैं, मैं कैसे सो जाऊं।

मेरी पलकों में छाई, यादों की बदली
छलकती है यादें,  मैं कैसे सो जाऊं।

बहुत याद आते हैं, साथ बिताऐ लम्हें
आँखें राह देखती है, मैं कैसे सो जाऊं।

सपने में देखा, वह बदल रही है करवटे
उसे नींद नहीं आती, मैं कैसे सो जाऊं।

पचास वर्ष का, संग-सफर था हमारा
तन्हाई में याद आए, मैं कैसे सो जाऊं।



( यह कविता "स्मृति मेघ" में प्रकाशित हो गई है। ) 

मेरा प्रेम-पत्र

मैं चाहता हूँ तुम्हें
एक बार फिर से लिखूँ 
खुशबु और प्यार भरा
एक प्रेम-पत्र

तुम गली के मोड़ पर
फिर से खड़ी हो कर 
करो इन्तजार डाकिये का
लेने मेरा प्रेम-पत्र

बंद कर दरवाजा
फिर पढ़ो चुपके-चुपके
मेरा प्रेम-पत्र

तकिये पर सिर रख
चौंको किसी आहट पर
पढ़ते हए मेरा प्रेम-पत्र

पसीने से तर-बतर
झूमते तन-मन से
बार-बार पढ़ो 
तुम मेरा प्रेम-पत्र

मेरे प्यार का
तुम्हें एक बार फिर से
अहसास दिलाएगा
मेरा यह प्रेम-पत्र।



( यह कविता "स्मृति मेघ" में प्रकाशित हो गई है। ) 

Monday, July 15, 2019

कागज की कश्ती

अब नहीं रहा
बच्चों का बचपन
हमारे जमाने जैसा  

अब डेढ़ बरस में
प्लेग्रुप और ढाई में तो
स्कूल चले जाते हैं बच्चे। 

बँट चुका है
उनका बचपन अब
स्कूल और क्रैच में। 

सुबह जाते हैं स्कूल
शाम ढले मम्मी संग
आते हैं क्रैच से। 

दोस्तों की शैतानियाँ 
मेडम की बातें
अपनी हरकतें अब वो 
नहीं कहते मम्मी से। 

अब उनका बचपन
न तो मुस्कराता और
नहीं इठलाता है

खो गई है उनकी
मासूमियत भरी मस्ती
अब पानी में नहीं तैरती
उनकी कागज की कश्ती।



( यह कविता "स्मृति मेघ" में प्रकाशित हो गई है। )