Sunday, December 14, 2008

अमेरिका में मैंने देखा

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                एकाकी जीवन को देखा               
अलग रहते बच्चों को देखा  
               बुढ़ापा में साथ निभाये          
   मैंने यहाँ कहीं नही देखा

      गाडी में कुतो को देखा
   गद्दों पर बिल्लियों को देखा    

        ममता को गोद खिलाते 
      मैंने यहाँ कहीं नही देखा

    लम्बी-चोड़ी सड़कें देखी
     महंगी-महंगी कारें देखी
     गले लगा कर प्रेम से पूछे
    मैंने यहाँ कहीं नही देखा

  क्लबों में नाचते-गाते देखा
 दौर शराब का चलते देखा
           सादा जीवन, उच्च विचार      
    मैंने यहाँ कहीं नही देखा

 अमेरिका में सब कुछ देखा
अलास्का से हवाई तक देखा
 कनाडा से मेक्सिको तक घुमा  
    पर भारत जैसा देश न देखा।  



सैन डिएगो (अमेरिका )
१३ दिसम्बर, 2008

1 comment:

  1. rashmi
    its simply fantastic.kaash mein bhi itna bhariya likh paati! aap humme sada hi prerna dete rahenge

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