Thursday, September 17, 2009

स्वार्थी दुनियां


पूर्वी बंगाल* में
 डाकुओं द्वारा
दादी के पति की
ह्त्या कर दी गई

बाल्य अवस्था में ही
दादी विधवा हो कर
गांव लौट आई

दादी के पास
धन की कोई कमी
नहीं थी

ढेर सारा
सोना-चाँदी लेकर
दादी आई थी

देवर
बेटे की शादी के लिए
दादी के पास गहने
 माँगने गया

तराजू का पलड़ा
सोने-चांदी के गहनों से
भर गया

तब देवर ने कहा 
तुम माँ हो और
मैं तुम्हारा बेटा हूँ

क्यों तोल रही हो 
आजीवन सेवा करूंगा
मैं वचन देता हूँ 

दादी ने
सब कुछ समेट कर
देवर को दे दिया

लेकिन समय के साथ 
कथित बेटे ने माँ को
भुला दिया

अस्सी की उम्र में 
आज दादी रास्ते से
गोबर उठा उपले बनाती है

आस-पड़ोस से
छाछ मांग कर थोड़ी 
राबड़ी बनाती है

दो कच्ची पक्की
रोटी बना कर अपना
 पेट भरती है

दादी आज
आँखों में आँसूं भर
स्वार्थी दुनिया को
कोसती है

जिसे मैंने
अपना सब कुछ
निकाल कर दे दिया

उसने मुझे
दो रोटी के लिए
भिखारी बना दिया।



* पूर्वी बंगाल विभाजन के बाद पूर्वी पाकिस्तान और स्वतंत्र होने के बाद बांग्ला देश कहलाया।









कोलकत्ता
१७ सितम्बर, २००९

1 comment: