पूसी बिल्ली को हो चढ़ा बुखार
टेम्परेचर हो गया एक सौ चार
भोलू डॉक्टर को उसे दिखाया
उसने पूसी को वायरल बताया
झट एक इंजेक्शन लगवाया
फ़िर थोड़ा परहेज़ बताया
नहीं दौड़ोगी चूहों के पीछे
नही खाओगी दूध मलाई
सोंठ डालकर काढा पीकर
तुम सोओगी ओढ़ रजाई
अभी करोगी तुम आराम
पूसी को हो गया जुकाम।
कोलकत्ता
४ दिसम्बर, २००९
(यह कविता "कुमकुम के छींटे" नामक पुस्तक में प्रकाशित है )
(यह कविता "कुमकुम के छींटे" नामक पुस्तक में प्रकाशित है )
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