Friday, October 7, 2011

रंगीलो राजस्थान ( राजस्थानी कविता )


रंग रंगीलो सबस्यूं प्यारो म्हारो राजस्थान जी

माथे बोर, नाक में नथनी, नोसर हार गलै में जी   
झाला, झुमरी, टीडी भळको, हाथा में हथफूल जी
टूसी, बिंदी, बोर, सांकळी, कर्ण फूल काना में जी
कंदोरो, बाजूबंद सोवै, रुण-झुण बाजे पायल जी    

रंग रंगीलो सबस्यूं प्यारो म्हारो राजस्थान जी  

रसमलाई, राजभोग औ कलाकंद, खुरमाणी जी
कतली, चमचम, चंद्रकला औ मीठी बालूशाही जी 
रसगुल्ला, गुलाब जामुन औ प्यारी खीर-जलेबी जी
दाल चूरमो, घी और बाटी  सगला रे मन भावे जी

रंग रंगीलो सबसे प्यारो म्हारो राजस्थान जी 

कांजी बड़ा दाल रो सीरो, केर-सांगरी साग जी
मोगर, पापड़, दही बड़ा औ नमकीन गट्टा भात जी
तली ग्वारफली ओ पापड़, केरिया रो अचार जी
घणे चाव से बणे रसोई, कर मनवार जिमावे जी

रंग रंगीलो सबस्यूं प्यारो म्हारो राजस्थान जी 

काली कळायण ऊमटे जद, बोलण लागे मौर जी
बिरखा रे आवण री बेला, चिड़ी नहावै रेत जी
खड़ी खेत रे बीच मिजाजण, गावै कजरी गीत जी
बादीळो घर आसी कामण, मेडी उड़ावे काग जी 

रंग रंगीलो सबस्यूं प्यारो म्हारो राजस्थान जी ।

कोलकत्ता
१४ जून,२०११
(यह कविता "कुमकुम के छींटे" नामक पुस्तक में प्रकाशित  है )

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