Sunday, February 3, 2013

प्रेम-पत्र





आओ एक बार
फिर से ताजा करे पुरानी यादों को
और लिखे प्रेम-पत्र एक दूजे को 

खुशबू से भरे
प्रेम-पत्र में फिर से लिखे
प्यार भरी बातें एक दूजे को

फिर से झूमे
तन-मन और खिल जाए
कलि-कलि पढ़ कर प्रेम-पत्र को 

आँखों में चंचलता
होठों पर मुस्कान फिर से
लौट आये पढ़ कर प्रेम-पत्र को

बंद लिफाफा में भेजे
प्रेम-पत्र गुलाब के फूलों के साथ
पहले की तरह

करेंगे फिर इन्तजार
डाकिये का गली के मोड़ पर
पहले की तरह

आओ फिर से
लिखे प्रेम-पत्र
एक दूजे के नाम

दिल की गहराई में
लिख दे एक दूजे
का नाम।



 [ यह कविता "कुछ अनकही***" में प्रकाशित हो गई है। ]




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