आओ एक बार
फिर से ताजा करे पुरानी यादों को
और लिखे प्रेम-पत्र एक दूजे को
खुशबू से भरे
प्रेम-पत्र में फिर से लिखे
प्यार भरी बातें एक दूजे को
फिर से झूमे
तन-मन और खिल जाए
कलि-कलि पढ़ कर प्रेम-पत्र को
आँखों में चंचलता
होठों पर मुस्कान फिर से
लौट आये पढ़ कर प्रेम-पत्र को
बंद लिफाफा में भेजे
प्रेम-पत्र गुलाब के फूलों के साथ
पहले की तरह
करेंगे फिर इन्तजार
डाकिये का गली के मोड़ पर
पहले की तरह
आओ फिर से
लिखे प्रेम-पत्र
एक दूजे के नाम
दिल की गहराई में
लिख दे एक दूजे
का नाम।
[ यह कविता "कुछ अनकही***" में प्रकाशित हो गई है। ]
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