नया करे
कुछ इस होली में
कुछ इस होली में
तन-मन सब रंग जाये
गले लगाए
हर साथी को
राग द्वेष सब मिट जाये
गले लगाए
हर साथी को
राग द्वेष सब मिट जाये
गीत लिखे
कुछ ऐसा जमकर
सब के मन को भाये
भर दे प्यार
सभी के दिल में
जीवन उत्सव बनाये
सतरंगी
रंगों में घुल कर
सबकी साँसों में महके
भेद-भाव
के रंग मिटा कर
मानवता से चहरे चमके
स्नेह-प्यार
का घट भर कर
सब के संग खेले होली
जैसे कान्हा ने
वृन्दावन में
सखियों संग खेली होली।
[ यह कविता "एक नया सफर " पुस्तक में प्रकाशित हो गई है। ]
[ यह कविता "एक नया सफर " पुस्तक में प्रकाशित हो गई है। ]