उमड़-घुमड़ कर
बादल बरसे
बिजली चमके
मन मेरा डोले रे
सजनवा अब घर आज्या रे।
धुप गुनगुनी
भोर लावनी
धरा फागुनी
होली आई रे
सजनवा अब घर आज्या रे।
सजनवा अब घर आज्या रे।
अमियाँ बौराई
सरसों फूली
महुआ महका
झूमी वल्लरियाँ रे
सजनवा अब घर आज्या रे।
सजनवा अब घर आज्या रे।
पायल-बिछियाँ
पाँव महावर
कमर करधनी
जिया जलाए रे
सजनवा अब घर आज्या रे।
सजनवा अब घर आज्या रे।
मन बौराया
तन गदराया
चैत चाँदनी
फगुआई रे
सजनवा अब घर आज्या रे।
[ यह कविता "एक नया सफर" में प्रकाशित हो गई है। ]
सजनवा अब घर आज्या रे।
[ यह कविता "एक नया सफर" में प्रकाशित हो गई है। ]
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