Saturday, March 9, 2013

बचपन लौट आया





चाँद सितारों
ने देखा
अप्सराओं  ने
भी देखा

एक नन्ही परी
  धरती पर उतर आई
मेरे घर की
चौखट जगमगाई

खुशियों की
बहार छाई
परी आयशा बन 
घर में आई

आँखों में तारे
भर लाई
घर में सबका
बचपन लाई

हम लाये 
 उसके लिए खिलौना  
वो बन गयी
 हम सब का खिलौना।



[ यह कविता  "एक नया सफर " में प्रकाशित हो गई है। ]









5 comments:

  1. Bohot achi kavita hai Uncle Ji. :) :)

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  2. Aisha bohot lucky hai jo usko aap jaise Dada ji mile!
    Kavita bohot achi hai Papa Ji.

    Rajshree.

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    1. ये शब्द मेरे लिए सम्मान है।

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