चाँद सितारों
ने देखा
अप्सराओं ने
भी देखा
एक नन्ही परी
धरती पर उतर आई
मेरे घर की
चौखट जगमगाई
खुशियों की
बहार छाई
परी आयशा बन
घर में आई
आँखों में तारे
भर लाई
घर में सबका
बचपन लाई
हम लाये
उसके लिए खिलौना
वो बन गयी
हम सब का खिलौना।
[ यह कविता "एक नया सफर " में प्रकाशित हो गई है। ]
Bohot achi kavita hai Uncle Ji. :) :)
ReplyDeleteRahul.
ReplyDeleteआभार राहुल
DeleteAisha bohot lucky hai jo usko aap jaise Dada ji mile!
ReplyDeleteKavita bohot achi hai Papa Ji.
Rajshree.
ये शब्द मेरे लिए सम्मान है।
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