Sunday, May 26, 2013

वह सबकी प्यारी हो गयी





 मम्मी को देख हँसने लगी 
 गोदी लो हाथ उठाने लगी
 वह अब बैठना सीख गयी
  वह सबकी प्यारी हो गयी  

      अँगूठा वह चुसने लगी
     हटाने पर मचलने लगी     
    वह अब बातूनी हो गयी
  वह सबकी प्यारी हो गयी  
  
  घुटनों के बल चलने लगी     
 चीजों को मुंह में लेने लगी     
   वह अब नटखट हो गयी   
  वह सबकी प्यारी हो गयी  

      थोड़ी थड़ी करने लगी  
   भूख लगने पर रोने लगी
   वह एक वर्ष की हो गयी
 वह सबकी प्यारी हो गयी  

 सपने देख मुस्कुराने लगी  
   आँखों को मटकाने लगी 
     वह अब चंचल हो गयी
 वह सबकी प्यारी हो गयी। 

5 comments:

  1. Bohot acha hai Uncle Ji! :)
    Ekdum yehi sab karti hai woh aajkal. :)


    -Rahul Raj Rathi

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  2. Papa ji, Aaisha is very lucky to have such a loving Grandfather. :)
    And poem is really very nice.

    -Rajshree

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  3. Dadaji I liked this poem very much.....
    Great!!
    Pooja Rana

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  4. This comment has been removed by the author.

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  5. मेरा लिखना सार्थक हुवा।

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