मम्मी को देख हँसने लगी
गोदी लो हाथ उठाने लगी
वह अब बैठना सीख गयी
वह अब बैठना सीख गयी
वह सबकी प्यारी हो गयी
अँगूठा वह चुसने लगी
हटाने पर मचलने लगी
वह अब बातूनी हो गयी
वह सबकी प्यारी हो गयी
घुटनों के बल चलने लगी
चीजों को मुंह में लेने लगी
वह अब नटखट हो गयी
वह सबकी प्यारी हो गयी
थोड़ी थड़ी करने लगी
भूख लगने पर रोने लगी
वह एक वर्ष की हो गयी
वह सबकी प्यारी हो गयी
वह एक वर्ष की हो गयी
वह सबकी प्यारी हो गयी
सपने देख मुस्कुराने लगी
आँखों को मटकाने लगी
वह अब चंचल हो गयी
Bohot acha hai Uncle Ji! :)
ReplyDeleteEkdum yehi sab karti hai woh aajkal. :)
-Rahul Raj Rathi
Papa ji, Aaisha is very lucky to have such a loving Grandfather. :)
ReplyDeleteAnd poem is really very nice.
-Rajshree
Dadaji I liked this poem very much.....
ReplyDeleteGreat!!
Pooja Rana
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ReplyDeleteमेरा लिखना सार्थक हुवा।
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