प्रभु अगर ऐसा हो जाता
मै छोटा पक्षी बन जाता
आसमान में ऊँचे उड़ कर
कलाबाजियाँ मैं भी खाता
पेड़ों पर मीठे फल खाता
झरनों का मैं पानी पीता
स्कूल से हो जाती छुट्टी
होमवर्क नहीं करना पड़ता
खेतों -खलिहानों में जाता
नदी-नालों के ऊपर उड़ता
उड़ कर देश-प्रदेश देखता
नानी के घर भी उड़ जाता
उड़ने पर कोई रोक न होती
आसमान मेरा घर होता
जब तक मर्जी उड़ता रहता
शाम ढले घर पर आ जाता
मीठी वाणी बोल-बोल कर
सबके मन को मैं मोह लेता
बच्चों को मैं दोस्त बना कर
तोड़-तोड़ मीठे फल देता।
[ यह कविता "एक नया सफर " में प्रकाशित हो गई है। ]
Mastt poem hai Dadaji!!
ReplyDeleteKK
तुम्हे अच्छी लगी,