ऊँखळ के सागे
मूँसळ भी पड्यो है
दूबक्येड़ो एक खुणा मायं
कुण पूछ है अब
सगली बित्ये ज़मानै
री बाता रेगी
एक जमानो हो नाजुक कलायाँ
ऊँख़ळ में कूटती
बाजरो
चूड़ला री खणखणाट
सुणीजती गौर ओ
गुवाड़ी मांय
रंधतो खदबध खीचड़ो
र बणती छाछ री
राबड़ी
खार खीचड़ो
टाबरिया कूदता
घोड़े मान
खार राबड़ी
बाबो सोंवतो
खूंटी टाँण
राबड़ी री थाली
बाबो धो "र पिंवतो
जणा केवंतो
सबड़को सुवाद लागे
मीठी लागे
राबडी
उंणा खुणा स्यै भरय़ा
स्याबाश म्हारी
राबड़ी।
[यह कविता "एक नया सफर" नामक पुस्तक में प्रकाशित हो गई है। ]
मूँसळ भी पड्यो है
दूबक्येड़ो एक खुणा मायं
कुण पूछ है अब
सगली बित्ये ज़मानै
री बाता रेगी
एक जमानो हो नाजुक कलायाँ
ऊँख़ळ में कूटती
बाजरो
चूड़ला री खणखणाट
सुणीजती गौर ओ
गुवाड़ी मांय
रंधतो खदबध खीचड़ो
र बणती छाछ री
राबड़ी
खार खीचड़ो
टाबरिया कूदता
घोड़े मान
खार राबड़ी
बाबो सोंवतो
खूंटी टाँण
राबड़ी री थाली
बाबो धो "र पिंवतो
जणा केवंतो
सबड़को सुवाद लागे
मीठी लागे
राबडी
उंणा खुणा स्यै भरय़ा
स्याबाश म्हारी
राबड़ी।
[यह कविता "एक नया सफर" नामक पुस्तक में प्रकाशित हो गई है। ]
Ye wali Papa ko padhaunga. :)
ReplyDeleteBohot acha hai.
पापाजी को कैसी लगी मुझे भी बताना
ReplyDeleteThis comment has been removed by the author.
ReplyDeleteKe baat hai chachaji marwadi ma bhi itti achchi tarika sa likhya ho ki majo aa gyo... wah bhai wah....
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